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Soils in Rajasthan : राजस्थान की मिट्टियाँ

राजस्थान की मिट्टियां

मिट्टियां
  • राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी पाई जाती हैं।
  • दक्षिण-पूर्व में काली मिट्टी पाई जाती हैं।
  • उत्तरी-पूर्वी  पूर्वी मैदानी भाग में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
  • उत्तर में (गंगानगरहनुमानगढ़में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती हैं।
  • पश्चिम में/उत्तरमें बलुई मिट्टी पाई जाती हैं।
  • अरावली के पश्चिमी ढ़ाल में भुरी-धूसर/भुरी-बलुई/सिरोजम मिट्टी पाई जाती हैं।
  • अरावली के पूर्व में बनास नदी में भुरी-दोमट मिट्टी पायी जाती हैं।

राजस्थान में मिट्टियों के प्रकार:-
1. बालु मिट्टी 
2. लाल दोमट/लाल लोमी मिट्टी
3. मिश्रित लाल-काली मिट्टी 
4. जलोढ़ मिट्टी या कच्छारी मिट्टी
5. भुरी-रेतीली मिट्टी (अरावली में
6. भुरी रेतीली कच्छारी मिट्टी 
7. काली मिट्टी

बालु मिट्टी:-
  • राजस्थान में सर्वांधिक पाई जाने वाली मिट्टी।
  • सीमावर्ती चारों जिलों गंगानगरबीकानेरजैसलमेरबाड़मेरशेखावटी क्षेत्र,   जोधपुरनागौर में पायी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में जीवाश्म और नाइट्रोजन का अभाव होता हैंक्योंकि इस  प्रदेश में गर्मी अधिक पड़ती हैं  वर्षां की मात्रा कम हैं।
  • लवणता  क्षारीयता की मात्रा सर्वांधिक पाई जाती हैं। इसको कम करने के लिए जिप्सम  चूना पत्थर ड़ाला जाता हैं।
  • अम्लीय मिट्टी का ph मान 0 से 6.9 तक होता हैं। (चूना पत्थर से अम्लीयता कम होती हैं)
  • क्षारीय मिट्टी का pH मा 7.1 से 14 तक होता हैं। (जिप्सम से क्षारीयता कम होती हैं।)
  • इस मिट्टी में वर्षां  सिंचाई की सुविधा होने पर सर्वाधिक उपजाऊ हैं।
  • बालू मिट्टी में जलधारण करने की क्षमता कम होती हैं (सबसे कम होतीहैं),  क्योंकि मिट्टी के मध्य छिद्र अधिक  बड़े होते हैं। (जल सोखने की क्षमता सर्वांधिक होती हैं)
  • बालू मिट्टी की मुख्य समस्या सोडियम क्लोराईड हैं।
  • बीकानेरजैसलमेरबाड़मेरपालीनागौर की मिट्टीयों में लवणता अधिक हैं।
  • लवणता के कारण बंजर भूमि का क्षेत्रफल सर्वांधिक पाली में हैं।
  • पश्चिमी राजस्थान की मुख्य फसलें:- मूंगमोठ  बाजरा हैं।

लाल मिट्टी:-
  • इसके अन्य नाम लाल लोमी/चिकनी/दोमट हैं।
  • जहां आग्नेय चट्टान होगीवहां यह मिट्टी पाई जाएगी।
  • राजस्थान के दक्षिण में लाल मिट्टी का क्षेत्रफल सर्वांधिक है।
  • चित्तौड़गढ़ (सर्वांधिक), डुंगरपुरबांसवाड़ाउदयपुरभीलवाड़ा के  आंतरिक भागों में (प्राचीन स्फट्कीय  कायांतरित चट्टानों से निर्मित)
  • इसका लाल रंग लौह आॅक्साइड के कारण होता हैं।
  • मिट्टी में फास्फोरसनाइट्रोजनह्ययूमरस (नमीजैविक अंशकी कमी पाई जाती हैं।
  • यह मिट्टी में मक्का (सर्वांधिक), मुंगफलीचावलदालेंअफीम की खेती के लिए उपयोगी हैं।
  • अफीम सर्वाधिक चित्तौड़गढ़ में होता हैं।

काली मिट्टी:-
  • काली मिट्टी का निर्माण बैसाल्ट चट्टानद के टूटने से होता हैं।
  • ज्वालामुखी के उद्गार से (लावा – जमेगा – बेसाल्ट – टूटी – कालीमिट्टी) (आग्नेय चट्टान)
  • इसकी जल धारण करने की क्षमता सर्वाधिक हैं।
  • इस मिट्टी का काला रंग लौह-आॅक्साइड के कारण होता हैं।
  • राजस्थान में काली मिट्टी का विस्तार – कोटाबूंदीबांराझालावाड़ तक हैं।
  • हाड़ौती में पहले बांरा शामिल नहीं था।
  • राजस्थान में काली मिट्टी मालवा का पश्चिमी विस्तार हैं।
  • इस मिट्टी में कपाससोयाबीनमैथी (पीली), सरसों सर्वांधिक होता हैं।
  • कपास के कारण इसे कपासी कहते हैं।
  • पानमैथी की विशिष्ट किस्म मसुरी नागौर के ताऊसर में सर्वाधिक होतीहैं।
  • हाड़ौती को सोयाप्रदेश भी कहते हैंसोयाबीन कोटा में सर्वाधिक होता हैं।
  • सोयाबीन में प्रोटीन (40%) , तेल(20%), खल (40%) तक होते हैं।
  • सोयाबीन से दूध भी बनता हैं।
  • काली मिट्टी को दक्षिण भारत में रेगुर कहते हैंभारत से बाहर चर्नोजम कहते हैं।

काली-लाल मिट्टी:-
  • यह मिट्टी लाल  काली के मध्य वाले क्षेत्र में पाई जाती हैं।
  • भीलवाड़ाचित्तौड़गढ़उदयपुरराजसमन्दबूंदीचम्बल नदी के पश्चिम में पाई जाती हैं।
  • इसमें कपासगन्नाचावल सर्वाधिक होता हैं।
  • सर्वाधिक गन्ना बूंदी में होता हैं।

जलोढ़ मिट्टी (कच्छारीकांपदोमट):-
  • इस मिट्टी का निर्माण नदियों के द्वारा होता हैं।
  • विश्व की सर्वाधिक उपजाऊ मिट्टी हैं।
  • राजस्थान में यह मिट्टी अलवरभरतपुरधौलपुरकरौलीसवांईमाधोपुरजयपुरदौसा (उत्तरी-पूर्वी मैदानी भागमें पायी जातीहैं।

बनास बेसिन:-
  • इस मिट्टी में सभी प्रकार की फसले होती हैं।
  • यह मिट्टी सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन करने वाली मिट्टी हैं।
  • इस मिट्टी के चार रूप:- खादरबांगरभामरतराई हैं।
  • भामर  तराई राजस्थान में नहीं पाये जाते हैं।
  • खादर नवीन जलोढ़ मिट्टी हैंजबकि बांगर पुरानी जलोढ़ मिट्टी हैं।
  • जलोढ़ मिट्टी का नदी में बाढ़ आने पर नवीनीकरण होता हे।

भूरी मिट्टी:-
यह मिट्टी दो प्रकार की होती हैं:-
1. भूरी धूसर/धूसर रेगिस्तानी 2. भूरी दोमट मिट्टी
  • अरावली के पश्चिम में भूरी रेगिस्तानी रेतीली मिट्टी (लूनी बेसिनमें पायी जाती है
  • अरावली के पूर्व में भूरी दोमट मिट्टी (बनास बेसिन), भीलवाड़ाअजमेरटोंक   तथा जयपुर के दक्षिण में पायी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में कुछ मात्रा में जैविक अंश पाया जाता हैंक्योंकि बनास बेसिन की   नदियों के द्वारा पहाड़ी मिट्टी बहाकर मैदान में बिछा दी जाती हैं।
  • इस मिट्टी में ज्वारदाले सर्वाधिक होती हैं।

भूरी रेतीली मिट्टी:-
  • इसमें फास्फोरस की मात्रा अधिक होती हैं।
  • इसे भूरी धूसर मिट्टी या धूसर रेगिस्तानी मिट्टी कहते हैं।
  • इसका विस्तार अरावली के पश्चिम में जालौरबाड़मेर (सिवाना,समदड़ी, पंचमद्रा) पाली, डेगाना, परबतसर (नागौर), सीकर जिलों में लूनी नदी बेसिन में पाई जाती हैं।
  • इस मिट्टी में अरण्डी, तिल (सर्वाधिक), सरसों, जीरा आदि की खेती होती हैं।इस मिट्टी में नाइट्रोजन, फाॅस्फोरस, पोटेशियम की कमी पाई जाती हैं।
  • नोट:-
  • राजस्थान के उत्तर पश्चिम में आंतरिक अपवाह तंत्र वाले भागों में नदियों के आसपास भूरी-रेतीली कच्छारी मिट्टी पाई जाती है।
    जीरा सर्वाधिक जालौर एवं नागौर में पाया जाता हैं।
    अरण्डीतिल (काली  सफेद दोनोंसर्वाधिक पाली में पाई जाती हैं।
    वर्ष के अधिकांश महीनों का तापमान 18 C रहता हैं।

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सरकारी सेवा में पदस्थापित धीरज व्यास वर्षों से अध्यापन क्षेत्र में सक्रिय है। आप इंटरनेट पर हिंदी भाषा के प्रबल समर्थक होने के साथ साथ शिक्षा के महँगी होने के पुरजोर विरोधी है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को कम शुल्क में छात्रों तक पहुँचाना आपका ध्येय है।

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