राजस्थान में वन सम्पदा
- राजस्थान में सर्वप्रथम वनों के संरक्षण की योजना जोधपुर नरेश ने 1910 ई. में बनाई थी।
- राजस्थान की कुल वन सम्पदा का सर्वाधिक भाग उदयपुर जिले में तथा न्यूनतम भाग चुरू जिले में है।
- जिले के क्षेत्रफल की दृष्टि से बांसवाड़ा जिले का प्रथम स्थान हैं जबकि सबसे कम जैसलमेर जिले में हैं।
- राज्य ने अपनी वन नीति द्वितीय पंचवर्षीय योजना में घोषित की थी।
- राजस्थान में "राज्य वन्य पशु एंवम पक्षी संरक्षण अधिनियम 1951"लागू किया गया।
- "वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972" 9 सितम्बर 1972 ई.को लागू किया गया।
- बाड़मेर का चौहटन क्षेत्र गोंद के लिए प्रसिद्ध हैं।
- फूलों से लदे पलास वृक्ष को फ्लेम ऑफ़ दी फोरेस्ट कहा जाता हैं।
- राज्य वृक्ष खेजड़ी को शमी वृक्ष,थार का कल्पवृक्ष एंवम जांटी भी कहा जाता हैं।
- तेंदू पत्ते को स्थानीय भाषा में टिमरू कहा जाता हैं।
- देश का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी पार्क जोधपुर में स्थित हैं।
- भाद्रपद शुक्ला दशमी को जोधपुर के खेजड़ली गाँव में विश्व का एकमात्र वृक्षमेला भरता हैं।
- अमृता देवी पुरुस्कार की स्थापना 1994 ई.को हुई थी।
- पोकरण व जैसलमेर के मध्य लाठी सीरीज सेवण घास के लिए प्रसिद्ध हैं।
- बीकानेर,चुरू,जोधपुर आदि जिलों में घास के मैदान व चरागाहों को स्थानीय भाषा में बीड कहा जाता हैं।
- खैर वृक्ष के तने से हांड़ी प्रणाली के द्वारा कत्था तैयार किया जाता हैं।
- राजस्थान को वन प्रबंधन हेतु 13 वृतों में बाँटा गया हैं।
- शुष्क वन अनुसंधान केंद्र (AFRI) जोधपुर में स्थित हैं।
- वानिकी प्रशिक्षण संस्थान जयपुर,अलवर एंवम जोधपुर में स्थित हैं।
- मोपेन,इजरायली बबूल एंवम होहोबा विदेशी रेगिस्तानी पौधे हैं।
- राजस्थान में सर्वप्रथम वनों के संरक्षण की योजना जोधपुर नरेश ने 1910 ई. में बनाई थी।
- राजस्थान की कुल वन सम्पदा का सर्वाधिक भाग उदयपुर जिले में तथा न्यूनतम भाग चुरू जिले में है।
- जिले के क्षेत्रफल की दृष्टि से बांसवाड़ा जिले का प्रथम स्थान हैं जबकि सबसे कम जैसलमेर जिले में हैं।
- राज्य ने अपनी वन नीति द्वितीय पंचवर्षीय योजना में घोषित की थी।
- राजस्थान में "राज्य वन्य पशु एंवम पक्षी संरक्षण अधिनियम 1951"लागू किया गया।
- "वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972" 9 सितम्बर 1972 ई.को लागू किया गया।
- बाड़मेर का चौहटन क्षेत्र गोंद के लिए प्रसिद्ध हैं।
- फूलों से लदे पलास वृक्ष को फ्लेम ऑफ़ दी फोरेस्ट कहा जाता हैं।
- राज्य वृक्ष खेजड़ी को शमी वृक्ष,थार का कल्पवृक्ष एंवम जांटी भी कहा जाता हैं।
- तेंदू पत्ते को स्थानीय भाषा में टिमरू कहा जाता हैं।
- देश का प्रथम मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी पार्क जोधपुर में स्थित हैं।
- भाद्रपद शुक्ला दशमी को जोधपुर के खेजड़ली गाँव में विश्व का एकमात्र वृक्षमेला भरता हैं।
- अमृता देवी पुरुस्कार की स्थापना 1994 ई.को हुई थी।
- पोकरण व जैसलमेर के मध्य लाठी सीरीज सेवण घास के लिए प्रसिद्ध हैं।
- बीकानेर,चुरू,जोधपुर आदि जिलों में घास के मैदान व चरागाहों को स्थानीय भाषा में बीड कहा जाता हैं।
- खैर वृक्ष के तने से हांड़ी प्रणाली के द्वारा कत्था तैयार किया जाता हैं।
- राजस्थान को वन प्रबंधन हेतु 13 वृतों में बाँटा गया हैं।
- शुष्क वन अनुसंधान केंद्र (AFRI) जोधपुर में स्थित हैं।
- वानिकी प्रशिक्षण संस्थान जयपुर,अलवर एंवम जोधपुर में स्थित हैं।
- मोपेन,इजरायली बबूल एंवम होहोबा विदेशी रेगिस्तानी पौधे हैं।
वृक्ष
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उपयोग
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खैर
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खिरनी
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तेंदू
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कदम्ब
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आँवला
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खस
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महुआ
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