Rajasthan Gk in Hindi |
तारागढ़ (अजमेर ) – ऊँचाई 873 मीटर।
मुकुंदरा पहाड़ियाँ – कोटा व झालावाड़ के बीच स्थित इस भू-भाग का ढ़ाल दक्षिण से उत्तर की ओर है, अतः चम्बल नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।
मालखेत की पहाड़ियाँ – सीकर जिले की पहाड़ियों का स्थानीय नाम।
हर्ष की पहाड़ियाँ –सीकर जिले में स्थित पहाड़ी, जिस पर जीणमाता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
सुंडा पर्वत –भीनमाल (जालौर) के निकट स्थित पहाड़ियाँ, जिनमें सुंडा माता का मंदिर स्थित है। इस पर्वत पर राज्य का पहला रोप वे प्रारंभ किया गया।
मालाणी पर्वत श्रृंखला – लूणी बेसिन का मध्यवर्ती घाटी भाग, जो बालोतरा (बाड़मेर) में स्थित है।
नाकोड़ा पर्वत/ छप्पन की पहाड़ियाँ – सिवाणा (बाड़मेर)
भैंराच व खो पर्वत – अलवर।
चिड़ियाटूंक पहाड़ी –जोधपुर जिले में मेहरानगढ़ किला इसी पर स्थित है।
जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ – आबू क्षेत्र के पश्चिम में स्थित पहाड़ियाँ। डोरा पर्वत चोटी यहीं स्थित है। इसी क्षेत्र में जालौर में रोजा भाकर, इसराना भाकर और झारोल पहाड़ स्थित है।
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उड़िया पठार – राज्य का सबसे ऊँचा पठार, जो गुरू शिखर के नीचे स्थित है। जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई 1360 मीटर है।
आबू पठार – राज्य का दूसरा सबसे ऊँचा पठार, जिसकी औसत ऊँचाई 1200 मीटर है तथा यह सिरोही जिले में स्थित है। यही पर टॉड रॉक एवं हार्न रॉक स्थित है।
मेसा पठार – 620 मीटर ऊँचा पठारी भाग, जिस पर चितौड़गढ़ दुर्ग स्थित है।
भोरठ का पठार – राज्य का तीसरा सबसे ऊँचा पठार, जो उदयपुर के उत्तर पश्चिम में गोगुन्दा और कुंभलगढ़ के बीच स्थित है।
भाकर – पूर्वी सिरोही क्षेत्र में अरावली की तीव्र ढाल वाली व ऊबड़-खाबड़ कटक (पहाड़ियाँ ) जिन्हें स्थानीय भाषा में भाकर कहा जाता है।
गिरवा – उदयपुर क्षेत्र में तश्तरीनुमा आकृति वाले पहाड़ों की शृंखला को स्थानीय भाषा में गिरवा कहते है।
लसाड़िया का पठार – उदयपुर में जयसमंद से आगे पूर्व की ओर विच्छेदित व कटाफटा पठार।
लसाड़िया का पठार – उदयपुर में जयसमंद से आगे पूर्व की ओर विच्छेदित व कटाफटा पठार।
त्रिकूट पहाड़ी – जैसलमेर किला इसी पर स्थित है।
उपरमाल – चितौड़गढ़ के भैंसरोड़गढ़ से भीलवाड़ा के बिजौलिया तक का पठारी भाग रियासत कल में उपरमाल के नाम से जाना जाता है।
आडावाला पर्वत – बूँदी जिले में स्थित है।
मगरा – उदयपुर का उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय भाग। यही जरगा पर्वत स्थित है।
नाल – अरावली श्रेणियों में मध्य मेवाड़ क्षेत्र में स्थित तंग रास्ता (दर्रों ) को स्थानीय भाषा में नाल कहते है।
मेवाड़ में प्रमुख नाल –
1. जिलवा की नाल (पगल्या नाल)- यह मारवाड़ से मेवाड़ में आने का रास्ता प्रदान करती है।
2. सोमेश्वर की नाल – देसूरी से कुछ मील का रास्ता उत्तर में स्थित विकट तंग दर्रा।
3. हाथी गुढ़ा की नाल – देसूरी से दक्षिण में 5 मील दूरी पर स्थित नाल। कुम्भलगढ़ का किला इसी नाल के नजदीक है।
बिजासन का पहाड़ – मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) के पास स्थित है।
अरावली पर्वतमाला की प्रमुख चोटियाँ –
राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी। यह हिमालय व पश्चिमी घाट की नीलगिरि के मध्य स्थित सर्वाधिक ऊँची चोटी है। कर्नल जेम्स टॉड ने इसे संतों का शिखर कहा है।
सेर (मांउट आबू) – ऊँचाई – 1597 मीटर।
राज्य की दूसरी सबसे ऊँची चोटी।
जरगा (उदयपुर) -ऊँचाई -1431 मीटर।
राज्य की तीसरी सबसे ऊँची चोटी। जो भोरठ का पठार स्थित है।
अचलगढ़ (सिरोही) – ऊँचाई –1380 मीटर।
रघुनाथगढ़ (सीकर) – ऊँचाई – 1055 मीटर।
उत्तरी अरावली की सबसे ऊँची चोटी।
आपका प्रश्न : कर्नल जेम्स टॉड ने किस चोटी को संतों का शिखर कहा है ?
(A) गुरु शिखर
(B) सेर
(C) जरगा
(D) अचलगढ़ " COMMENT THE ANSWER "
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Gurusikher
ReplyDeleteguru shikhar
Deleteजहा पर देतात्र्य ऋषि का मंदिर है
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteलीलागढ चोटी कहा है
ReplyDeleteउदयपुर
Deleteचित्तौड़गढ़ के दुर्ग के पीछे वाली पहाड़ियों का क्या नाम है
ReplyDeleteमगरा
DeleteGuru sikhar
ReplyDeleteगुरु शिखर
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