राजस्थान की नदियां ( Rajasthan ki Nadiyan)
चम्बल नदी
इसका प्राचीन नाम चर्मावती है। कुछ स्थानों पर इसे कामधेनु भी कहा जाता है। यह नदी मध्यप्रदेश के महू के निकट मानपुर के समीप विन्ध्यांचल पर्वत की जनापाव पहाड़ी (616 मीटर) से निकलती है। उदगम् स्थल से 325 किमी उत्तर दिशा की ओर तीव्रगति से प्रवाहित होती हुई चौरासीगढ़ (चित्तौड़) के पास राजस्थान में प्रवेश करती है। इस नदी पर भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़) के पास प्रख्यात चूलिया जलप्रपात है। यहां से कोटा तक लगभग 113 किमी की दूरी तय करती है। यह राजस्थान के कोटा, बून्दी, सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर जिलों में बहती हुई उत्तर-प्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज में यमुना में मिल जाती है। यह राजस्थान की एकमात्र ऐसी नदी है जो साल भर बहती है। इस नदी पर गांधीसागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज बांध बने हैं। ये बाँध सिंचाई तथा विद्युत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत हैं। चम्बल की प्रमुख सहायक नदियों में कालीसिन्ध, पार्वती, बनास, कुरल, बामनी व मेज है। इसकी कुल लंबाई 965 किमी है। यह राजस्थान में कुल 376 किमी तक बहती है।
बनास
एकमात्र ऐसी नदी है जो संपूर्ण चक्र राजस्थान में ही पूरा करती है। बनास अर्थात (वन की आशा) के रुप में जानी जाने वाली यह नदी राजसमंद जिले के अरावली पर्वत श्रेणियों में कुंभलगढ़ के पूर्व में खमनोर की पहाड़ियों से निकलती है। यह भीलवाड़ा, चित्तौड़, अजमेर व टौंक जिलों में बहती हुई सवाई माधोपुर में रामेश्वरम के नजदीक चंबल में गिरती है। इसकी लंबाई लगभग 480 किमी है। इसकी सहायक नदियों में बेडच, कोठारी, मानसी, खारी, मोरेल है।
इसकी सहायक नदियों में बेडच नदी 190 किमी लंबी है जो गोगुंदा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है जबकि कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है तथा 145 किमी लंबी है और यह भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। खारी नदी 80 किमी लंबी है तथा राजसमंद के बिजराल की पहाड़ियों से निकलकर देवली (टौंक) के नजदीक बनास में मिल जाती है।
इसकी सहायक नदियों में बेडच नदी 190 किमी लंबी है जो गोगुंदा पहाड़ियों (उदयपुर) से निकलती है जबकि कोठारी नदी उत्तरी राजसमंद जिले के दिवेर पहाड़ियों से निकलती है तथा 145 किमी लंबी है और यह भीलवाड़ा में बहती हुई बनास में मिल जाती है। खारी नदी 80 किमी लंबी है तथा राजसमंद के बिजराल की पहाड़ियों से निकलकर देवली (टौंक) के नजदीक बनास में मिल जाती है।
बाणगंगा
इस नदी का उद्गम स्थल जयपुर की बैराठ की पहाड़ियों से है। इसकी कुल लंबाई 378 किमी है तथा यह सवाईमाधोपुर, भरतपुर में बहती हुई अंत में फतेहाबाद (आगरा) के समीप यमुना में मिल जाती है। इस पर जमवारामगढ़ के पास बांध बनाकर जयपुर को पेयजल की आपूर्ति की जा रही है।
काली सिंध
यह चंबल की सहायक इस नदी का उदगम् स्थल मध्यप्रदेश में देवास के निकट बागली गाँव है। कुछ दूर मध्यप्रदेश में बहने के बाद यह राजस्थान के झालावाड़ व कोटा जिलों में बहती है। अंत में यह नोनेरा (झालावाड़) के पास चंबल नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 278 किमी है।
पार्वती नदी
यह चंबल की एक सहायक नदी है। इसका उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के विंध्य पर्वतों से है तथा यह उत्तरी ढाल से बहती है। यह नदी करया हट (कोटा) स्थान के समीप राजस्थान में प्रवेश करती है और बून्दी जिले में बहती हुई चंबल में गिर जाती है।
गंभीरी नदी
110 किमी लंबी यह नदी सवाई माधोपुर की पहाड़ियों से निकलकर करौली से बहती हुई भरतपुर से आगरा जिले में यमुना में गिर जाती है।
लूनी नदी
यह अजमेर के नाग पहाड़ियों से निकलकर नागौर की ओर बहती है। यह जोधपुर, बाड़मेर व जालोर में बहती हुई अंततः गुजरात की कच्छ की खाड़ी में गिर जाती है। इसकी कुल लंबाई 320 किमी है। यह पूर्णत: मौसमी नदी है। बालोतरा तक इसका जल मीठा रहता है लेकिन आगे जाकर यह खारा होता जाता है। इस नदी में अरावली श्रृंखला के पश्चिमी ढाल से कई छोटी-छोटी जल धाराएँ जैसे लीलड़ी, गुहिया,बांडी सुकड़ी, जवाई, जोजरी और सागाई निकलकर मिलती है। इस नदी पर बिलाड़ा के निकट बना बाँध सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।
माही नदी
यह दक्षिण राजस्थान के बांसबाड़ा और डूंगरपुर जिले की मुख्य नदी है। यह मध्यप्रदेश के धार जिले में विंध्यांचल पर्वत के अममाऊ स्थान से निकलती है। उदगम् से उत्तर की ओर बहने के पश्चात् खांदू गांव (बांसबाड़ा) के निकट राजस्थान में प्रवेश करती है। यह बांसबाड़ा और डूंगरपुर में बहती हुई गुजरात में प्रवेश करती है। कुल 576 किमी बहने के पश्चात् यह खम्भात की खाड़ी में गिरती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में सोम, जाखम, अनास, चाप और मोरन है। इस नदी पर बांसबाड़ा में माही बजाज सागर बांध बनाया गया है।
आंतरिक जल प्रवाह
घग्घर नदी
यह गंगानगर जिले की प्रमुख नदी है। यह नदी हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणियों से शिमला के समीप कालका के पास से निकलती है। यह अंबाला, पटियाला और हिसार जिलों में बहती हुई राजस्थान के गंगानगर जिले में टिब्बी के समीप उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवेश करती है। पूर्व में यह बीकानेर राज्य में बहती थी लेकिन अब यह हनुमानगढ़ के पश्चिम में लगभग 3 किमी तक बहती हुई भटनेर के मरुस्थलीय भाग में विलीन हो जाती है। इस नदी की कुल लंबाई 465 किमी है। इसे प्राचीन सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है।
काकनी नदी
इसे काकनेय व मसूरदी नाम से भी बुलाते है। यह जैसलमेर से लगभग 27 किमी दूर दक्षिण में कोटरी गाँव से निकलती है। यह कुछ किमी प्रवाहित होने के उपरांत लुप्त हो जाती है। वर्षा अधिक होने पर यह काफी दूर तक बहती है और अंत में भुज झील में गिर जाती है।
सोम नदी
यह उदयपुर जिले के बीछामेड़ा स्थान से निकलती है। प्रारंभ में यह दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती हुई डूंगरपूर की सीमा के साथ-साथ पूर्व में बहती हुई वेणेश्वर में माही नदी से मिल जाती है।
जाखम
यह चित्तौड़गढ़ जिले के छोटीसादड़ी के निकट से निकलती है। वहाँ बहती हुई प्रतापगढ़ जिले के धरियावद तहसील में प्रवेश करती है और सोम नदी से मिल जाती है
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