राजस्थान में सहकारी संस्थाऐं
- स्पिनफेड:-
> सन् 1993 में गंगापुर, गुलाबपुरा (दोनो भीलवाड़ा) व हनुमानगढ़ की सहकारी मिलों को सम्मिलित कर स्पिनफेड बनाया गया।
> इसका कार्य रूई या कपास खरीदना एवं सूत बनाना व इसकी बिक्री करनाहैं। यह बम्बई की सूती मिलों को बिक्री करता हैं।
- गंगानगर सहकारी कॉटन कॉम्पलेक्स:-
> इसकी स्थापना सन् 1986 में हनुमानगढ़ में की गई थी।
> इसको विष्व बैंक से धन मिलता हैं।
> इसकी स्थापना सन् 1986 में हनुमानगढ़ में की गई थी।
> इसको विष्व बैंक से धन मिलता हैं।
- केशोरायपाटन सहकारी शुगर मिल:-
> यह सन् 1965 में स्थापित कि गई, जो वर्तमान में बंद पड़ी हैं।
- तिलम संघ (सहकारी संघ):-
> यह सन् 1990 में जयपुर में स्थापित किया गया।
> इसके अन्तर्गत निम्नलिखित संस्थायें संचालित हैं:-
> विष्व बैंक की सहायता से कोटा, बीकानेर तथा म्म्ब् की सहायता से(यूरोपीयन आर्थिंक समुदाय)
> जालौर, झुन्झनु, मेड़ता, गंगापुर सिटी, श्रीगंगानगर में सरसों के विकास केलिए सरसों तेल मिले संचालित हैं।
- अनुसूचित जाति, जनजाति वित्त एवं विकास सहाकरी निगम:-
> यह सन् 1980 में उदयपुर में स्थापित किया गया।
> इसका कार्य अनुसूचित जाति, जनजाति क्षेत्र में उनके उत्पादों को खरीदनातथा उनके आर्थिंक विकास के लिए योजनाएं संचालित करना हैं।
> इसका मुख्यालय उदयपुर में हैं।
- अनुसूचित जनजाति क्षेत्र विकास सहकारी संघः-
> इसकी स्थापना सन् 1976 में उदयपुर में की गई थी।
> इसके द्वारा आदिवासियों के उत्पादों को खरीदना, उन्हें उन्नत खाद, बीजउपलब्ध करवाया जाता हैं।
> साहूकारों व बिचौलियों के शोषण से बचाना हैं।
- राजस्थान राज्य बुनकर (परम्परागत बुनकर) सहकारी संघ:-
> इसकी स्थापना सन् 1958 में की गई थी एवं इसका मुख्यालय जयपुर में हैं।
> इसका मुख्य कार्य बुनकरों को कच्चा माल उपलब्ध करवाना और तैयारमाल के विपणन की व्यवस्था करना हैं।
- राजस्थान राज्य सहकारी भेड़, ऊन विपणन फैडरेषन:-
> इसकी स्थापना सन् 1977 में जोधपुर में की गई थी।
> इसका कार्य भेड़ पालकों को ऊन बेचने पर बिचौलियों के शोषण से बचानाहैं।
> भेड़ पालको के लिए समितियों का गठन करना हें।
> इनके लिए भेड़ व पशु खरीदने के लिए व्यवस्था करना हैं।
> ऊन का श्रेणीकरण (वर्गीकरण) करना हैं।
- राजस्थान राज्य सहाकरी क्रय-विक्रय संघ (राजफेड):-
> इसकी स्थापना सन् 1957 में जयपुर में की गई थी।
> इसके द्वारा पशु आहार व कीटनाषकों का उत्पादन किया जाता हैं।
> उपभोक्ता भंडार इसी संस्था के द्वार संचालित हैं।
- सहकारी मुद्रणालय:-
> इसकी स्थापना सन् 1960 में जयपुर में की गई थी।
> इसका कार्य सरकारी विभागों के लिए स्टेषनरी सामग्री छापना हैं।
> इस संस्था के द्वारा सस्ती व अच्छे गुणवत्ता की कॉपिया भी छापी जाती हैं।
- सहकारी कृषक ज्योति योजना:-
> कार्य-कृषकों को अल्पकालीन ऋण देना।
> यह 15 से 18 महीने के लिए ऋण प्रदान करती हैं।
- सहकारी किसान क्रेडिट कार्ड:-
> किसानों को इस कार्ड की सहायता से आसानी से ऋण उपलब्ध होता हैं।
- क्रेफी कॉर्ड योजना:-
> सन् 1984 में षिवारमन समिति की सिफारिष पर यह योजना शुरू की गई।
> जो ग्राम पंचायत स्तर पर मिनी बैंक रूप में कार्य करती हैं।
> यह अल्प बचत भी जमा करते हैं।
- सहकारी क्षेत्र उद्योग:-
> कीटनाषक कारखाना:- जयपुर और अलवर
> शीत भण्डार:- जयपुर और अीवर
> सहकारी कताई मिल:- गंगापुर, गुलाबपुरा, हनुमानगढ़
> ईसबगोल कारखाना:- मांऊट आबू (सिरोही)
> बर्फ का कारखाना:- जयपुर में
> ज्ञान सागर ऋण योजना:- विद्यार्थियों के लिए।
> अविका क्रेडिअ कार्ड योजना:- यह योजना सन् 2004-05 में भेड़-पालकोके लिए शुरू की गई थी।
> संजीवनी योजना:- स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाना।
> सहकारी क्षेत्र का पहला जैव उर्वरक कारखाना भरतपुर में हैं।
> बी.एल.मेहता की सिफारिष पर सन् 1960 मे सहकारी साख समितियांगठित की गई।
> जयपुर, केकड़ी (अजमेर), कोटा, सूरतगढ़, अनूपगढ़ मे सहकारी दाल मिलेसंचालित हैं।
> सोयाबीन परियोजना कोटा में विष्व बैंक की सहायता से संचालित हैं।
> राजस्थान सहकारी षिक्षा एवं प्रबन्ध संस्थान जयपुर में सन् 1994 मेंस्थापित किया गया।
> राजस्थान अल्पसंख्यक वित्त एवं विसा निग लिमिटेड की स्थापना 29 मई, 2000 को की गई।
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